Monday, November 19, 2018

उस्ताद राशिद खान के संगीत पर जमकर झूमे लोग

हिंदी भाषा का सबसे बड़ा महोत्सव साहित्य आजतक 2018 का आयोजन तीन दिन तक राजधानी दिल्ली में हुआ. तीनों दिन देश के कई बड़े लेखकों, कवियों, बॉलीवुड हस्तियों ने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. राय शुमारी के अलावा संगीत, शास्त्रीय संगीत, सूफी का तड़का भी लगा.

साहित्य आजतक के तीसरे और अंतिम दिन की शुरुआत बॉलीवुड अभिनेता अन्नू कपूर के साथ हुई तो अंत शास्त्रीय गायक राशिद खान की गायकी से हुआ. पूरेे दिन कई लेखकों ने अपनी बात कही तो शाम होते-होते जावेद अख्तर ने राष्ट्रवाद पर अपनी बात कही.

साहित्य आजतक की हल्लाबोल चौपाल के 'तिवारी की उड़ान' सत्र में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष और फिल्म अभिनेता मनोज तिवारी ने अपने भोजपुरी अंदाज में लोगों का मन मोह लिया. मनोज तिवारी ने अपने प्रसिद्ध गानों से महफिल में समां बांध दिया.

दस्तक दरबार में मुशायरा

साहित्य आजतक 2018 के तीसरे और आखिरी दिन देश के बड़े शायरों ने अपनी शायरी से लोगों का दिल जीत लिया. साहित्य आजतक पर हुए इस मुशायरे में मशहूर शायर राहत इंदौरी, वसीम बरेलवी, मंजर भोपाली, आलोक श्रीवास्तव, शीन काफ निजाम, डॉ नवाज देवबंदी, डॉ लियाकत जाफरी, तनवीर गाजी शामिल हुए.

साहित्य के अशोक'

साहित्य आजतक में लेखक अशोक वाजपेयी ने 'साहित्य के अशोक' सत्र में हिस्सा लिया और लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति और साहित्य पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने अपने जीवन से जुड़े कई किस्से भी बताए. चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को सबसे ज्यादा खतरा अभी है.

अशोक वाजपेयी ने अपनी पहले किताब संग्रह को लेकर बताया, 'पहला कविता संग्रह 'शहर अब भी संभावना है' आने से पहले मैं करीब 200 कविताएं लिख चुका था, लेकिन मैंने अपने पहले संग्रह में करीब 150 कविताओं खारिज कर दी थी और उसमें सिर्फ 50-55 किताबें शामिल की गई थी. इस पुस्तक से एक पुस्तक के रुप में मेरा साहित्य में प्रवेश हुआ.'

दस्तक दरबार मंच पर साहित्य और हम

मशहूर लेखक और शायर जावेद अख्तर साहित्य आजतक के मंच पर दर्शकों से रूबरू हुए. उन्होंने यहां अपनी मशहूर पंक्तियों, शायरी को लोगों को सुनाया और सभी का मन मोह लिया. जावेद अख्तर ने सुनाया...''मुझे ऐसा लगता है कि किसी ने साजिश रची है.''

जावेद अख्तर ने कहा कि देश में ऐसा कोई नहीं हो सकता जिसे अपने मुल्क से प्यार ना हो, ये सब प्राकृतिक है. हर व्यक्ति को अपने शहर से प्यार होता है, हर किसी को देश से प्यार होता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि मैं किसी से नफरत करता हूं. हमारे सभ्यता में रहा है कि असहमत होना पाप नहीं है.

जावेद अख्तर बोले कि हर किसी को देश का छोटा सा हिस्सा दिया गया है, उस व्यक्ति के पास अपनी गली है मोहल्ला है लेकिन क्या वह अपनी उस जगह से प्यार करता है. बात देश से प्यार करने की हो रही है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अलग विचार होना जरूरी है, अगर एक विचार हो तो दिक्कत है. जो लोग देश को हिट करना चाहते हैं वो कम्युनल नहीं होंगे.

मशहूर शायर जावेद अख्तर ने कहा कि मुझे अपने देश प्रेम पर इतना भरोसा है कि मुझे परवाह नहीं है कि कोई मेरे बारे में क्या कहेगा. हमें किसी का डर नहीं है, पाकिस्तान में हम जाकर नहीं डरे. उन्होंने कहा कि कम्युनल मुसलमानों को सेक्यूलर हिंदू बुरे लगते हैं. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व नया-नया खतरे में आया है, इस्लाम तो बरसों से खतरे में है. हिंदुत्व पर खतरा आए दो-तीन साल ही हुए हैं.

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